शीर्षक- बन जाओ आत्मनिर्भर
भारत वासियों को स्वयं की शुद्धता का विश्वास दिलाएंगे,
बन जाओ आत्मनिर्भर यही आस अब जगायेंगे।
मन रखेंगे स्वदेशी विदेशी वस्तु पर ना बहकेंगे,
हर घर अब स्वदेशी वस्तु की सुगंध से महकेगें।
अपने घर के आंगन की मिट्टी में अपना ही पौधा रोपेंगे,
हम अपनी मां लक्ष्मी को क्यों विदेशियों को सौंपेंगे।
अपनाकर स्वदेशी ही देशभक्ति दिल से निभाएंगे,
लोकल को ग्लोबल बनाकर बाजार अपना दमकाएंगे।
हर उपभोग हर परिवेश को अब हम परिवर्तित कर देंगे,
विदेशी मोह को त्याग कर स्वदेश का मान रख देंगे।
ब्रांडेड की गाथा छोड़ अपनी अकल लगाएंगे,
खाली जेब की कैद को तोड़ हम गर्व से सिर उठाएंगे।
बढ़ाकर किसानों को आगे उन्हें अब सक्षम बनाएंगे,
देख ले अब दुनिया सारी ऐसा परचम लहराएंगे।
✍डा. शुभ्रा वार्ष्णेय
मुरादाबाद
Wow…. Nice post… 👍👍👌👌