घर से निकला है तू , मंज़िल तक के सफ़र में
आ गया है ना जाने, कौन से अजनबी शहर में
कंधों पे जिम्मेदारियां हैं, और आंखों में हैं सुनहरे सपने
चलता जा रहा है, सभी को पूरा करने
लोग तूझे नीचे खींचेंगे, जब जब तू लगेगा उठने
उनकी बातों को दिल में रख, लगजा अब परिश्रम करने
होंसला है तेेरे अन्दर, रोक नहीं पाएगा कोई
दर्द से ना घबराना तू , आजायें कितने भी जख्मों को देने
गर सच्ची है तेरी मेहनत, तो कामयाबी भी तेरी होगी
लक्ष्य को भेद दिखला देना तू, तभी तेरी सुबह होगी
एक बार नहीं सौ बार गिरेगा, फिर भी संयम को रखना तू
हार कभी ना मानना, तभी विजय तेरी होगी
जी जान लगाकर बड़ना आगे, संघर्ष की आग में तपाना खुद को
जीवन में जब कुछ बन जाएगा, दुनिया सलाम करेगी तुझको
सिर कभी मत झुकने देना, अपने माता पिता का तू
खुश होगा दिल भी तेरा, जब उनके चेहरे पे मुस्कान देखेगा तू
Written By
Akash Jain
👌👌
Well written akash 😊👍