याद आती है वो गोद जब बुखार से माथा तपता है।
गफलत में निकला हर एक लफ्ज़ बस माँ-माँ जपता है।
प्यार सब करते हैं लेकिन प्यार वो बहुत प्यारा करती थी।
जब दवा से कुछ ना होता था वो नज़र उतारा करती थी।।
याद आती है वो गोद जब बुखार से माथा तपता है।
गफलत में निकला हर एक लफ्ज़ बस माँ-माँ जपता है।
प्यार सब करते हैं लेकिन प्यार वो बहुत प्यारा करती थी।
जब दवा से कुछ ना होता था वो नज़र उतारा करती थी।।
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Bahut Sundaar👏👏
Very nice varun 👌👌