खून पसीने से खींची हुई फसल,
कटने को तैयार खड़ी है।
सरकार दाम बढ़ाएगी कहकर,
अपने आश्वासन पर अड़ी है।
आज देश-विदेश में यह ,
आ गई कैसी मुश्किल घड़ी है ।
सबके साथ जनता भी सेना समान,
इस मुश्किल दौर से लड़ी है ।
बहुत समय के बाद आज यूँ सब को,
किसान की इतनी याद आ पड़ी है ।
कैसी यह दोहरी महामारी है,
बारिश भी बरस पड़ी है।
धान की कीमत जो आज तक दे ना पाए ,
जान तो उनके लिए सिर्फ एक महंगी घड़ी है ।
बेटी अनमोल है ,पूरे समाज में,,
उसके हित के लिए जंग छिड़ी है।
बिन बेटी अकल्पनीय है संसार,,
हम सदैव के लिए उसकी ऋणि है।
बिन रोटी भी गुजारा कहां है?
यही समझने की यह घड़ी है।।।
Good lines unnati 👌👌
ThAnk you bhaiya 😊
Very nice dear 👌👌
ThAnk you 😊
Nice lines
ThAnk you so much bhaiya 😊