हुस्न परी हो साथ और बेमौसम की बारिश हो जाए
छतरी कौन ख़रीदेगा फिर जितनी बारिश हो जाए
ऐसी प्यास की शिद्दत है कि मैं ये दुआएं करता हूँ
जितने समन्दर हैं दुनिया में सबकी बारिश हो जाए
मेरी ग़ज़लें उसके साथ बिताए वक़्त का हासिल हैं
वैसी फ़सलें उग आती हैं,जैसी बारिश हो जाए
छोटे छोटे तालाबों से पानी छीना जाता है
तुम तो बस ये कह देते हो थोड़ी बारिश हो जाए
तंग आया हूँ मैं इस हिज्र ओ वस्ल की बूंदा बांदी से
या तो सूखा पड़ जाए या ढंग की बारिश हो जाए
बहुत ज़बरदस्त 😊😊 मज़ा आ गया अज़ीम 👌👌
Thanku sir🙂
👌👌👍👍
Thanks🙂
Very deep…..😍😍😍